धान की फसल में पत्ता लपेट की समस्या को नियंत्रित करने के लिए यहाँ कुछ प्रभावी उपाय दिए गए हैं:
पत्ता लपेट की बीमारी की पहचान:
- लक्षण: पत्तियों पर जाली जैसी संरचनाएँ दिखने लगती हैं। इससे प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होता है, पत्तियाँ भोजन बनाना बंद कर देती हैं, और पौधे की वृद्धि रुक जाती है। पत्तियों पर चिपचिपा मल जमा होता है, जिससे अन्य कीड़े और रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
नियंत्रण के उपाय:
- कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी का उपयोग:
- मात्रा: एक एकड़ के लिए 8 किलो कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी को बालू में मिलाकर खेत में बिखेरें।
- समय: इस दवा का उपयोग रोपाई के 30 दिन के भीतर करें। यह दवा पत्ता लपेट कीट की पहली और दूसरी पीढ़ी पर प्रभावी होती है।
- क्लोरोपायरीफॉस का उपयोग:
- विशेषता: यह दवा गैस छोड़ती है, जिससे पत्तियों के नीचे छिपे हुए कीट भी मर जाते हैं।
- कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 50 एसपी का छिड़काव:
- मात्रा: 500 मिलीलीटर दवा को 400 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर फसल में छिड़कें।
- लाभ: यह छिड़काव पत्ता लपेट और तना छेदक कीट को नष्ट करने में मदद करेगा।
अतिरिक्त सुझाव:
- रोगमुक्त पौधों का चयन: यदि संभव हो तो रोगमुक्त बीज का उपयोग करें।
- फसल का नियमित निरीक्षण: नियमित रूप से फसल की जाँच करें और कीटों और रोगों के लक्षणों की पहचान करें।
- सही समय पर उपचार: बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत उपचार करें ताकि नुकसान कम से कम हो।
इन उपायों को अपनाकर किसान धान की फसल को पत्ता लपेट की समस्या से बचा सकते हैं और अपनी फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
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