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सरसों के तेल पर क्यों लगी रोक? जानें क्या है इसके पीछे की वजह

 

सरसों का तेल: भारत में, सरसों का तेल खाना पकाने के लिए एक पारंपरिक और लोकप्रिय विकल्प है। इसके औषधीय गुण और स्वाद इसे भारतीय रसोई में एक महत्वपूर्ण तत्व बनाते हैं। इसके अलावा, यह तेल आमतौर पर आचार बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में सरसों के तेल का उपयोग खाना पकाने में नहीं किया जाता। आइए जानें इसके पीछे के कारण।

सरसों के तेल पर क्यों लगी रोक?

अमेरिका की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने सरसों के तेल पर खाने में इस्तेमाल करने के लिए पाबंदी लगाई है। इसका मुख्य कारण इरुसिक एसिड की उच्च मात्रा है, जो इस तेल में पाया जाता है।

इरुसिक एसिड एक प्रकार का फैटी एसिड है जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसके सेवन से शरीर में फैट बढ़ सकता है और याददाश्त पर असर पड़ सकता है, जो लंबे समय में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

सरसों का तेल अमेरिका और यूरोप में क्यों बिकता है?

अमेरिका और यूरोप में सरसों का तेल बाजार में उपलब्ध होता है, लेकिन इसे खाने के लिए नहीं बल्कि बाहरी उपयोग के लिए बेचा जाता है। इसकी पैकिंग पर ‘फॉर एक्सटर्नल यूज़ ओनली’ (केवल बाहरी उपयोग के लिए) लिखा होता है। इसका मतलब है कि लोग इस तेल का इस्तेमाल त्वचा, बाल, या अन्य बाहरी उपचारों के लिए कर सकते हैं, लेकिन इसका उपयोग खाना पकाने में नहीं किया जा सकता।

अमेरिका और यूरोप में खाना पकाने के लिए कौन सा तेल उपयोग होता है?

अमेरिका और यूरोप में खाना पकाने के लिए सोयाबीन तेल का प्रयोग आमतौर पर किया जाता है। सोयाबीन तेल में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, जो कोलेजन को बढ़ावा देने में मदद करते हैं और विटामिन ई से भरपूर होते हैं, जो त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद होता है।

निष्कर्ष

जहां भारत में सरसों का तेल पारंपरिक रूप से बहुत उपयोगी और लाभकारी माना जाता है, वहीं अमेरिका और यूरोप में इसके स्वास्थ्य संबंधी संभावित खतरों के कारण इसे खाद्य तेल के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है। विभिन्न देशों के खाद्य सुरक्षा मानदंड और स्वास्थ्य शोध इस बात को स्पष्ट करते हैं कि विभिन्न तेलों का उपयोग स्थानीय परिस्थितियों और स्वास्थ्य मानकों के अनुसार किया जाता है।

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