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गन्ने की फसल में तना भेदक कीट से बचाव के लिए प्रभावी उपाय, ऐसे करें बचाव

 

उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान की वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. नीलम कुरील ने गन्ने की फसल में तना भेदक कीट की समस्या और इसके समाधान के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। तना भेदक कीट गन्ने की फसल को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं, विशेष रूप से जुलाई से लेकर गन्ने की फसल की कटाई तक। इस कीट की पहचान और इससे बचाव के उपाय निम्नलिखित हैं:

तना भेदक कीट की पहचान

  1. अंडे: ये कीट के अंडे पत्तियों की निचली सतह पर कतार में होते हैं और हल्के पीले रंग के होते हैं।
  2. लार्वा: एक सप्ताह में अंडों से छोटे लार्वा निकलते हैं, जो पत्तियों की मध्य शिरा से गन्ने के अंदर प्रवेश कर जाते हैं।
  3. नुकसान: लार्वा धीरे-धीरे तने को खाना शुरू कर देते हैं, जिससे गन्ने में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं और कीट मल बाहर निकलता है। गन्ने के अंदर लाल रंग दिखाई देता है और पत्तियों में भी छेद हो जाते हैं।

रासायनिक और जैविक उपाय

  1. रासायनिक उपचार:
    • दवा: जुलाई के शुरुआत में 200 ml इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) दवा को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर गन्ने की फसल में छिड़काव करें।
    • ध्यान दें: छिड़काव करते समय सूखी पत्तियों को हटा दें। लेकिन अगर कीट गन्ने के तने में प्रवेश कर चुके हैं, तो रासायनिक दवा प्रभावी नहीं हो सकती।
  2. जैविक उपचार:
    • ट्राइकोकार्ड काइलोनिस: यह जैविक उपाय गन्ने की फसल में तना भेदक कीटों को नियंत्रित करने में कारगर है।
    • उपयोग विधि: एक कार्ड पर 20,000 मित्र कीटों के अंडे होते हैं और एक कार्ड एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त होता है। यह कार्ड जुलाई से अक्टूबर तक इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
    • कारगर समय: एक कार्ड 10 से 12 दिन तक कारगर रहता है और इसकी कीमत ₹50 है।

उपयोग की सलाह

  • फसल की अवस्था: अगर गन्ना परिपक्व हो चुका है और कीट गन्ने में घुस चुका है, तो जैविक उपाय सबसे प्रभावी रहेगा।
  • समय पर उपचार: कीट के संक्रमण के प्रारंभिक चरण में ही उपचार करें, ताकि कीट का नियंत्रण आसानी से हो सके।

इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी गन्ने की फसल को तना भेदक कीट से बचा सकते हैं और फसल के उत्पादन को सुरक्षित रख सकते हैं।

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