सक्सेस स्टोरी: 42 साल की उम्र में ममता कार्की ने हासिल की बड़ी सफलता, जानें इसके पीछे की स्टोरी
उत्तराखंड की ममता कार्की की प्रेरणादायक यात्रा
उम्र कभी भी किसी की सफलताओं की बाधा नहीं बनती, यह साबित कर दिया है उत्तराखंड की ममता कार्की ने। 42 साल की उम्र में, शादी के 11 साल बाद और एक सफल प्रोफेसर के करियर को छोड़ने के बाद, ममता ने उत्तराखंड पीसीएस परीक्षा पास की और बीडीओ बन गईं। यह कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो जीवन में नए मुकाम हासिल करने का सपना देखते हैं।
ममता कार्की की सफलता की कहानी
1. प्रारंभिक शिक्षा और पेशेवर पृष्ठभूमि:
- ममता कार्की की प्रारंभिक पढ़ाई हल्द्वानी के भारतीय बाल विद्या मंदिर से हुई। इसके बाद, जीजीआईसी से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की और पंतनगर यूनिवर्सिटी से बीटेक किया। ममता ने दिल्ली से एमटेक भी किया।
- 2005 में, ममता की नियुक्ति प्रोफेसर के पद पर हुई। उन्होंने कई वर्षों तक एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाया और अपने करियर में अच्छी तरह से स्थापित हो गईं।
2. नौकरी छोड़ने का निर्णय:
- 2013 में, ममता ने परिवार और बच्चों की देखरेख के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। यह निर्णय उनके लिए कठिन था, लेकिन उनके पति जितेंद्र कार्की ने उनका पूरा समर्थन किया। जितेंद्र बीएचईएल (BHEL) हैदराबाद में कार्यरत थे, और इस समर्थन ने ममता को अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए अपने सपनों की ओर ध्यान देने की अनुमति दी।
3. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी:
- नौकरी छोड़ने के बाद भी, ममता ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी जारी रखी। उन्होंने उत्तराखंड पीसीएस परीक्षा के लिए आवेदन किया और 2021 में परीक्षा दी।
4. सफलता और बीडीओ के पद पर चयन:
- ममता की मेहनत और लगन रंग लाई, जब उन्होंने पीसीएस 2021 परीक्षा पास की और बीडीओ के पद के लिए चयनित हुईं। इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि उम्र कभी भी किसी की उपलब्धियों की बाधा नहीं बनती।
5. परिवार के साथ तैयारी:
- ममता ने अपने परिवार के साथ हैदराबाद में रहते हुए तैयारी की। उनकी सफलता उनके समर्पण, कठिन परिश्रम और परिवार के समर्थन की कहानी है।
प्रेरणा का स्रोत
ममता कार्की की यह सफलता की कहानी उन महिलाओं और लोगों के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कुछ नया करने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि सही समय पर सही निर्णय लेकर और पूरी लगन के साथ काम करके किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनकी यह कहानी यह संदेश देती है कि कभी भी देर नहीं होती, अगर आपके अंदर जुनून और लगन हो तो आप किसी भी उम्र में सफलता हासिल कर सकते हैं।