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चंडीगढ़: सिटी ब्यूटीफुल की बाकमाल कहानी

चंडीगढ़

चंडीगढ़: सिटी ब्यूटीफुल की बाकमाल कहानी

 

चंडीगढ़ शहर की कहानी बड़ी रोचक और हैरान करने वाली है। यह शहर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के सपनों का शहर था। शिवालिक की पहाडिय़ों के साथ सटा चंडीगढ़ भारत का पहला ऐसा शहर है जो नवीनतम तकनीक से बसाया गया। इस शहर का नाम चंडीगढ़ माता चंडी के नाम पर रखा गया।

 

 

शक्ति की प्रतीक चंडी माता का मंदिर यहां पर है। चंडीगढ़ शहर को बसाए जाने की कहानी भारत-पाक विभाजन के बाद से शुरू हो गई। मार्च 1948 में पंजाब सरकार ने एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा। शिवालिक पहाडिय़ों में 114.59 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पंजाब की नई राजधानी बनाने की पहल इस प्रस्ताव के जरिए हुई। 1952 में चंडीगढ़ शहर स्थापित हुए।

 

 

1 नवम्बर 1966 को चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाते हुए इसे पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी बनाया गया। इस शहर को मूर्त रूप दिया फ्रैंच आर्किटैक्ट ले कार्बुजर ने। चंडीगढ़ शहर को आधुनिक तकनीक से बसाया गया। सैक्टर एक में कैपिटल कॉम्पलेक्स बनाया गया जिसे इस शहर का सिर कहा गया तो सैक्टर 17 चंडीगढ़ के बिल्कुल बीच में बनाया गया। सैक्टर 17 को चंडीगढ़ का हृदय भी कहा जाता है। अगर हम चंडीगढ़ शहर को विभिन्न सैक्टरों के नजरिए से देखेंगे तो इस शहर की बनावट से हम इसके बसने की बेहतर तकनीक को समझेंगे।

 

 

दरअसल भब्रिटिश भारत के विभाजन उपरांत 1947 में पंजाब राज्य को भारत और पाकिस्तान में दो भागों में बांट दिया गया था। इसके साथ ही राज्य की पुरानी राजधानी लाहौर पाकिस्तान के भाग में चली गयी थी। अब भारतीय संयुक्त पंजाब को एक नई राजधानी की आवश्यकता पड़ी। ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने एक नए योजनाबद्ध राजधानी बनाने की पहल की और 1952 में चंडीगढ़ की नींव रखी गई। चंडीगढ़ शहर की अधिकांश इमारतें और शहर का खाका खींचने में अहम भूमिका अदा की फ्रांस में जन्मे वास्तुकार और नगर नियोजक ली कार्बुजरिए ने। कार्बुजरिए इसके दूसरे वास्तुकार थे।

 

 

चंडीगढ़ का मूल मास्टर प्लान अमरीकी वास्तुकार और नियोजक अल्बर्ट मेयर ने बनाया था। 1950 में उनकी मौत हो जाने के बाद चंडीगढ़ शहर की परियोजना का काम कार्बुजरिए को मिला। 1952 से 1966 तक ये शहर मात्र पंजाब की राजधानी रहा था। 1 नवम्बर 1966 को यह हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी बन गया। अगस्त 1985 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच हुए समझौते के अनुसार, चंडीगढ़ को 1986 में पंजाब में स्थानांतरित होना तय हुआ था। इसके साथ ही हरियाणा के लिए एक नई राजधानी का सृजन भी होना था

 

 

, किन्तु कुछ प्रशासनिक कारणों के चलते इस स्थानांतरण में विलंब हुआ। इस विलंब के मुख्य कारणों में दक्षिणी पंजाब के कुछ हिन्दी-भाषी गांवों को हरियाणा और पश्चिम हरियाणा के पंजाबी-भाषी गाँवों को पंजाब को देने का विवाद था। चंडीगढ़ की एक खासियत यह भी है कि प्रति व्यक्ति आय में पूरे देश में यह पहले स्थान पर है। अगर इस शहर के इतिहास की बात करें तो करीब 8000 साल पहले, क्षेत्र भी एक घर हड़प्पावासियों के लिए किया जा करने के लिए जाना जाता था।

 

 

चंडीगढ़ बरगद और यूकेलिप्टस के बगीचों से भरा हुआ है। अशोक, कैसिया, शहतूत व अन्य वृक्ष भी यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं। शहर को घेरे हुए बड़ा वन्य-क्षेत्र है जिसमें अनेक जंतु व पादप प्रजातियां फलती-फूलती हैं। हिरण, सांभर, कुत्ता, तोते, कढफ़ोड़वे एवं मोर संरक्षित वनों में निवास करते हैं। सुखना झील में बत्तखों और गीज़ प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करते हैं, जो जापान और साईबेरिया क्षेत्रों से उडक़र जाड़ों में यहां आते हैं व झील की शोभा बढ़ाते हैं। शहर में एक शुक अभयारण्य भी है, जिसमें पक्षियों कि अनेक प्रजातियां देखने को मिलती हैं।

 

 

चंडीगढ़ में 70 स्केयर किलोमीटर में 1 से लेकर 56 सैक्टर हैं। 5.75 वर्ग किलोमीटर में उद्योग हैं तो 5.56 स्केयर किलोमीटर में शैक्षणिक संस्थान हैं। 5.15 वर्ग किलोमीटर एरिया डिफैंस के पास है तो 1.28 वर्ग किलोमीटर एरिया रेलवे का है। 3.90 वर्ग किलोमीटर में मनीमाजरा कस्बा है तो 11 वर्ग किलोमीटर एरिया पर वन हैं। 11.36 वर्ग किलोमीटर एरिया ग्रामीण है। चंडीगढ़ की एक खूबसुरती इसके हरे-भरे पार्क भी हैं। सैक्टर एक में 400 एकड़ में राजेंद्र पार्क है तो इसी सैकटर में 100 एकड़ में मैंगो पार्क हैं। मैंगों पार्क में आम की बेशुमार किस्मों के पेड़े हैं। सैक्टर एक में 88 एक में ही रॉक गार्डन है तो यहां पर ही स्मृति उपवन भी है। सैकटर 9 में जवाहर पार्क है तो सैकटर 10 में फ्लावर गार्डन बना हुआ है। सैक्टर एक में ही 8 किलोमीटर लम्बी लेजर वैल्ली है। सैक्टर 11 में लक्जोरा गार्डन, सैकटर 14 में पंजाब यूनिवर्सिटी का बॉटनीकल गार्डन है तो सैकटर 15 में खूबसुरत फ्लौरा गार्डन बना हुआ है। ैक्टर 16 में जाकिर रोज गार्डन है तो यहीं पर ही शांति कूंज बना हुआ है। सैक्टर 21 में पैरेट गार्डन, 22 में मुनलाइट पार्क, सैक्टर 23 में ड्रीम पार्क और यहीं पर चिल्ड्रन टै्रफिक पार्क बना हुआ है। सैक्टर 24 में मिनी रोज गार्डन है तो इंडस्ट्रीयल एरिया-2 में कैक्टस पार्क है। चंडीगढ़ जब बसा था तो यहां आबादी बहुत कम थी। ट्रैफिक नहीं था। अब इस शहर को ट्रैफिक और इंसानी आबादी ने थोड़ा बेतरतीब सा कर दिया है। 1961 में चंडीगढ़ की आबादी 1 लाख 19 हजार थी जो 2011 में 10 लाख 55 हजार हो गई। चंडीगढ़ की सबसे खूबसुरत जगहों में शुमार हैं

 

 

 

 

 

सुकना लेक और रॉक गार्डन। इसे अलावा रोज गार्डन, बोटनीकल गार्डन, टैरेस गार्डन, फ्रैगनेंस गार्डन भी देखने लायक जगेह हैं। सुकना लेकर यहां का प्रमुख पर्यटन केंद्र है। इसे 1958 में स्थापित किया गया। शिवालिक पहाडिय़ों की रेंज के साथ यह झील सटी हुई हे। इस लेक का कैचमेंट एरिया 21 किलोमीटर है। जिसमें से 34.42 किलोमीटर केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में है तो करीब 7.7 किलोमीटर एरिया हरियाणा में आता है। सुकना लेकर पर कैमल सवारी का भी आनंद आप ले सकते हैं। बोङ्क्षटग कर सकते हैं। यहां का खाना बेहद लजीज है। यहां पर बेशुमार आॢटस्ट हैं तो चंद ही मिनटों में आपका पोर्टेट तैयार कर देते हैं।

 

 

 

 

सुकना लेक के पास ही रॉक गार्डन है। इस गार्डन में वेस्ट सामान से हजारों कलाकृतियां बनाई गई हैं। इस गार्डन का निर्माण में एक सरकारी अफसर नेक चंद ने कया था अब यह गार्डन उन्हीं के नाम पर है। चंडीगढ़ में 25 वर्ग किलोमीटर पहाड़ी कैचमेंट एरिया भी है। चंडीगढ़ में खुदा अलीशेर, किशनगढ़, दरिया, मौली जागरण और बेहलाना पांच पंचायतें हैं। यहां की आबादी करीब 11 लाख है और साक्षरता दर 86 फीसदी है। चंडीगढ़ का ज्यादातर हिस्सा पॉश हैं। आधुनिक मकान बने हुए हैं तो यहां पर करीब 18 कालोनियां ऐसी भी हैं जो स्लम में आती हैं। इनमें से अधिकांश मजदूर कालोनियां हैं। इन कालोनियों की आबादी करीब 24 हजार है। चंडीगढ़ की कहानी बड़ी लम्बी है। सूकना लेक, रॉक गार्डन, रोज गार्डन, यहां का मध्य मार्ग, पंजाब सचिवालय, हरियाणा सचिवालय, पंजाब-हरियाणा के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की कोठियों पर अलग से सीरिज करेंगे। चंडीगढ़ की पूरी कहानी आने वाले वीडियोज में आपको बताएंगे। फिलहाल यह वीडियो आपको कैसा लगा हमें कमेंट जरूर करें।

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