माधोसिंघाना में गूंजा एक ही नारा
पराली जलाने से भूमि और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुंचता है। पर्यावरण का जीवन से सीधा संबंध है, पर्यावरण सही होगा, तो जीवन भी स्वस्थ होगा। इसलिए किसान पराली को न जलाकर पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं। पराली की गांठ बनाकर या इसे मिट्टी में मिलाकर इसका सही प्रबन्ध कर सकते हैं।
यह बात तहसीलदार भवनेश कुमार ने सोमवार को गांव माधोसिंघाना में ग्रामीणों को पराली को न जलाने बारे जागरूक करने के दौरान कही। इस अवसर पर स्कूल के बच्चों ने रैली निकाली, जिसको तहसीलदार भवनेश कुमार ने हरी झंडी दिखाई।
तहसीलदार ने कहा कि धान के अवशेष जलाने पर न केवल भूमि की उपजाऊ शक्ति नष्ट होती है बल्कि इससे पर्यावरण का भी बहुत अधिक नुकसान होता है तथा यह मानव जीवन के लिए खतरनाक है।
इसके जलाने से वायु प्रदूषण होता है। इसलिए पराली को न जलाकर बेलर की सहायता से इसकी गाठें बनाकर इसका प्रबंध करना ही विकल्प है। स्कूली बच्चों की इस रैली ने पूरे गांव में पराली न जलाने का संदेश दिया। स्कूली बच्चों ने हाथ में पराली न जलाने के स्लोगन की पट्टिका लिए हुए थे। स्कूली बच्चों ने पर्यावरण बचाएंगे, पराली नहीं जलाएंगे नारे के साथ गांव वासियों को व किसानों को महत्वपूर्ण संदेश दिया।इस अवसर पर कृषि सुपरवाइजर हेमंत ,स्कूल के प्रिंसिपल प्रहलाद राय, सरपंच विनोद जांदू , स्कूल प्रबंधन कमेटी के शीशपाल, पंच बंसीलाल सहित स्कूल स्टाफ व स्कूली बच्चों सहित अनेक ग्रामीण उपस्थित थे।