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10 एकड़ में बनेगा हरियाणा विधानसभा का नया भवन

हरियाणा ने अपनी विधानसभा के लिए भवन निर्माण की तैयारी शुरू कर दी है। 10 एकड़ में नए भवन बनाया जाएगा। नए बनने वाले भवन में देशभर के आठ राज्यों की विधानसभा का मिलाजुला स्वरूप नजर आएगा। देश भर में आठ राज्यों ने अपनी विधानसभा के लिए नए भवनों का निर्माण किया है। इनमें मध्यप्रदेश, गुजरात और तेलंगाना प्रमुख राज्य हैं। केरल विधानसभा का पूरा भवन लकड़ी का बना है। सभी नए बने भवनों का अवलोकन किया गया और इन सभी भवनों का स्वरूप हरियाणा विधानसभा के नए भवन में देखने को मिलेगा।

दरअसल हरियाणा और पंजाब विधानसभा एक ही परिसर में हैं। हरियाणा विधानसभा में मात्र 90 विधायकों के बैठने की व्यवस्था है। मौजूदा विधानसभा परिसर में मंत्रियों और विधानसभा कमेटियों के अध्यक्षों के बैठने का भी पूरा इंतजाम नहीं है। वैसे संसदीय कार्य मंत्री अलग और मुख्य सचेतक के अलग-अलग कमरे होते हैं। इसीलिए नए भवन की पहल की जा रही है। इसको लेकर विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर चंडीगढ़ यूटी प्रशासन से हरियाणा विधानसभा के भवन के लिए पांच से 10 एकड़ जमीन दिलाने का अनुरोध किया था। चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश है, इसलिए यहां केंद्र सरकार ही जमीन अलॉट करा सकती है। पंजाब से अलग होकर 1966 में जब हरियाणा अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया था, उस समय विधानसभा में मात्र 54 विधायकों के बैठने की व्यवस्था थी।

तत्कालीन पंजाब सरकार इस भवन को विधान परिषद के कक्ष के रूप में इस्तेमाल किया करती थी। अब राज्य विधानसभा में 90 विधायक हैं, जिनके लिए यह परिसर काफी छोटा पड़ रहा है। 60-40 के अनुपात में हुए भवन बंटवारे के बावजूद पंजाब ने हरियाणा विधानसभा के 20 से ज्यादा कमरों पर कब्जा कर रखा है। इस कब्जे को छुड़वाने के लिए हरियाणा विधानसभा के स्पीकर पंजाब के स्पीकर से कई बार लिखित और मौखिक बातचीत कर चुके हैं, लेकिन पंजाब इन कमरों पर से अपना कब्जा छोडऩे को तैयार नहीं दिखाई दे रहा है। खैर 2030 में होने वाले संभावित परिसीमन को ध्यान में रखते हुए स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता चाहते हैं कि हरियाणा विधानसभा का भवन काफी बड़ा और आधुनिक होना चाहिए।

2030 के परिसीमन के आधार पर हरियाणा विधानसभा में विधायकों की संख्या 125 तक होने का अनुमान है। प्रदेश सरकार भविष्य की सोच को ध्यान में रखते हुए कम से कम 150 विधायकों के बैठने का इंतजाम नए भवन परिसर में करना चाहती है। इसके लिए जमीन की मांग संबंधी प्रक्रिया सरकार शुरू कर चुकी है। वैसे अगर पूर्व की बात करें 17 अक्तूबर 1966 को विधान भवन का तीन हिस्सों में बंटवारा हुआ था। इसमें से 30 हजार 890 वर्ग फीट क्षेत्र पंजाब विधानसभा को और 10 हजार 910 वर्ग फुट क्षेत्र पंजाब विधान परिषद के लिए तय हुआ। हरियाणा विधान सभा को मात्र 24 हजार 630 वर्ग फुट क्षेत्र मिला था।

 

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