आम लोगों के साथ खोखे पर चाय पीता है हरियाणा का ये मंत्री Haryana News
हरियाणा की सियासत में एक बड़ा नाम है अनिल विज। गब्बर और दाड़ीवाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं। अपने सिद्धांतों और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। ट्विटर पर भी सक्रिय रहते हैं। साधारण जीवन जीते हैं। अम्बाला में सुबह सवेरे आम लोगों के साथ चाय पीते हैं। अखबार पढ़ते हैं। बैंक की नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आए। 7 बार विधायक निर्वाचित हुए। हरियाणा सरकार में कैबीनेट मंत्री हैं। संपत्ति के नाम पर उनके पास विधायक के रूप में मिलने वाली जमापूंजी ही है। अम्बाला में एक घर है तो पंजाब के जीरकपुर में एक अपार्टमैंट में भी प्रोपर्टी है। दो गाडिय़ों के मालिक हैं। उनकी सालाना इंकम करीब 25 से 30 लाख के बीच है। लाइफ स्टाइल ऑफ लीडर्स सीरिज में हरियाणा की सियासत के इस बाकमाल राजनेता अनिल विज की कहानी पर एक नजर।
अनिल विज का जन्म 15 मार्च 1953 को हुआ। अम्बाला से उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन किया। कम उम्र में ही पिता का साया सिर से उठ गया। ऐसे में अपने दो छोटे भाइयों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उन पर आ गई। अनिल विज विद्यार्थी जीवन से ही सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय थे। 1969 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और बाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक बन गए। संघ से जुडऩे के बाद ही अनिल विज ने फैसला कर लिया था कि वे विवाह नहीं करेंगे। साल 1974 में ही विज का चयन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में हो गया। बैंक की नौकरी उन्हें अधिक समय तक रास नहीं आई। करीब 16 बरस की सरकारी सर्विस के बाद विज ने इस्तीफा दे दिया और सक्रिय सियासत में एंट्री की।
1990 में अम्बाला कैंट में उपचुनाव हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने उपचुनाव के दंगल में विज को उतारा। विज ने जीत दर्ज की और पहली बार विधानसभा में पहुंचे। इसी साल ही उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। 1991 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा जबकि साल 1996 के विधानसभा चुनाव में विज अम्बाला कैंट से आजाद उम्मीदवार के रूप में विधयक चुने गए। साल 2000 के चुनाव में भी वे आजाद विधायक बनने में कामयाब हो गए।
2005 में भाजपा से चुनाव लड़ा और कुछ वोटो के अंतर से चुनाव हार गए। इसके बाद विज ने 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में जीत दर्ज कर हैट्रिक भी लगाई। विज की गिनती एक सिद्धांतवादी और सख्त राजनेता के रूप में होती है। अचानक अस्पतालों में निरीक्षण करना, बैठक में ही अधिकारियों को फटकार लगाने से वे गुरेज नहीं करते हैं। अनिल विज की संपत्ति की बात करें तो अनिल विज के पास करीब 1 करोड़ 17 लाख की चल-अचल संपत्ति है। 2019 के विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग को दिए शपथपत्र के अनुसार उनके पास 2017 मॉडल की एक मारुति बलैनो गाड़ी और करीब पौने सात लाख कीमत की डिजायर कार है।
अम्बाला की शास्त्री कालोनी में करीब 1908 स्केयर फीट का एक मकान है जिसकी कीमत 35 लाख रुपए है। जिरकपुर के ङ्क्षसघपुरा के विश्रांत विहार में 40 लाख कीमत का एक अपार्टमैंट हैं। अगर उनकी विज की सालाना इंकम की बात करें तो साल 2014-15 में उन्होंने अपनी इंकम साढ़े 11 लाख रुपए दर्शायी। इसी प्रकार से 2015-16 में 23 लाख 20 हजार, 2016-17 में 23 लाख 62 हजार, 2017-18 में 33 लाख 18 हजार रुपए और 2018-19 में 28 लाख 68 हजार रुपए शो की।
उनके लाइफ स्टाइल के बारे में बात करें तो अनिल विज सुबह जल्दी उठ जाते हैं।
अम्बाला कैंट में एक चाय की दुकान पर चाय पीने के लिए जाते हैं। वहीं पर आम लोगों के बीच अखबार पढ़ते हैं। एक घंटा बिताने के बाद घर आते हैं। हलका व्यायाम करते हैं। नाश्ते में हलका भोजन लेने के बाद वे समय पर अपने काम के लिए सचिवालय में पहुंच जाते हैं। सभी फाइलों को खुद चैक करते हैं। देर शाम तक काम करने की फितरह है। काम में कोताही बर्दाश्त नहीं करते हैं। यही वजह है कि उनके महकमे के कई अफसर और कर्मचारी भी विज की कार्यशैली से अक्सर सहमे हुए नजर आते हैं। विज लाव-लश्कर और तामझांम से दूर रहने वाले राजनेता हैं और अक्सर विवादित बयानों को लेकर भी सुर्खियो में रहते हैं।