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इस गांव के सभी लोग बोलते है संस्कृत, जानें कब से चल रही है परंपरा ?

भारत में संस्कृत के प्रति अनोखा समर्पण: झिरी गांव की कहानी

झिरी गांव: एक संस्कृत प्रेम का अनूठा उदाहरण झिरी गांव, जो मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित है, ने संस्कृत भाषा के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और समर्पण के लिए देशभर में एक विशेष पहचान बनाई है। यहां के निवासी, चाहे वे किसी भी धर्म या पेशे से हों, अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में केवल संस्कृत में ही संवाद करते हैं। इस गांव की भाषा और सांस्कृतिक विशेषताओं को देखना न केवल दिलचस्प है, बल्कि यह संस्कृत के प्रति एक नई प्रेरणा भी प्रदान करता है।

संस्कृत में संवाद: गांव की दिनचर्या का हिस्सा झिरी गांव का यह विशेष प्रयास 2002 में विमला तिवारी द्वारा शुरू किया गया था, जिन्होंने संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाया। उनकी मेहनत और समर्पण के परिणामस्वरूप, आज गांव के हर व्यक्ति—बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक—संस्कृत में ही संवाद करते हैं। यह अनूठा प्रयास दर्शाता है कि कैसे एक छोटे से गांव ने मिलकर अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और आगे बढ़ाने का कार्य किया है।

संस्कृत की सुंदरता: दीवारों पर श्लोक और उद्धरण गांव की दीवारों पर संस्कृत के श्लोक, उद्धरण और संदेश लिखे गए हैं, जो इस भाषा के प्रति गांव के निवासियों के प्रेम और सम्मान को दर्शाते हैं। ये श्लोक न केवल संस्कृत की सुंदरता को उजागर करते हैं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को भी इसके महत्व से अवगत कराते हैं।

संस्कृत शिक्षा: स्कूलों से लेकर मंदिरों और चौपालों तक झिरी गांव में संस्कृत को न केवल स्कूलों में पढ़ाया जाता है, बल्कि मंदिरों और चौपालों में भी इसका अभ्यास होता है। गांव के नौजवान बच्चों को संस्कृत पढ़ाने का जिम्मा लेते हैं और विवाह समारोहों में भी संस्कृत गीत गाए जाते हैं। इस प्रकार, संस्कृत गांव के सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई है।

मत्तूर गांव: कर्नाटक में संस्कृत का प्रयोग कर्नाटक के मत्तूर गांव भी संस्कृत के प्रति एक विशेष पहचान बनाए हुए है। यहां के लोग अपनी दिनचर्या में संस्कृत का प्रयोग करते हैं, और यह भाषा यहां के धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मत्तूर की इस पहल ने संस्कृत के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसे एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र बना दिया है।

संस्कृत के प्रति समर्पण का महत्व झिरी और मत्तूर जैसे गांवों का यह समर्पण दर्शाता है कि सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए समुदाय का प्रयास कितना महत्वपूर्ण है। ये गांव भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों की समृद्ध विरासत को सहेजने और आगे बढ़ाने के प्रेरणादायक उदाहरण हैं। यह समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जो भाषा और संस्कृति के महत्व को समझने और उसे संरक्षित रखने की आवश्यकता पर बल देता है।

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