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करोड़ों की नौकरी छोड़कर कनिष्क कटारिया पहले प्रयास बनें IAS टॉपर, इन्हें देते है सफलता का श्रेय

 

सफलता की कहानी: यह कहानी है कनिष्क कटारिया की, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा 2018 में पहले प्रयास में ही सफलता हासिल की और ऑल इंडिया रैंक-1 प्राप्त की। कनिष्क का सफर और उनके अनुभव एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं कि दृढ़ संकल्प और सही मार्गदर्शन से कैसे ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है।

शैक्षिक और पेशेवर पृष्ठभूमि:

– शिक्षा: कनिष्क ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के जयपुर में पूरी की और फिर आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस में डिग्री प्राप्त की। आईआईटी से शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने दक्षिण कोरिया में 1 करोड़ रुपए का शानदार पैकेज पर नौकरी की पेशकश स्वीकार की थी।

– IAS परीक्षा: कनिष्क ने 2019 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू को पहले ही प्रयास में सफलतापूर्वक पास किया और ऑल इंडिया रैंक-1 हासिल की। यह उपलब्धि अपने आप में बहुत बड़ी है, क्योंकि यूपीएससी की परीक्षा को पहली बार में ही क्रैक करना एक दुर्लभ और उल्लेखनीय सफलता है।

पारिवारिक प्रभाव और प्रेरणा:

– पिता का रोल मॉडल: कनिष्क के पिता, सांवर मल वर्मा, खुद एक आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के निदेशक हैं। कनिष्क ने अपने पिता को अपना रोल मॉडल मानते हुए प्रेरणा ली और उनकी सफलता की ओर कदम बढ़ाया। पिता के जीवन और कार्यशैली ने कनिष्क को सरकारी सेवा की ओर प्रेरित किया।

– तैयारी का संघर्ष: यूपीएससी की तैयारी शुरू करने से पहले, कनिष्क को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच के अंतर का भी ज्ञान नहीं था। लेकिन, दो वर्षों की कठिन मेहनत और समर्पण ने उन्हें न केवल इस ज्ञान को प्राप्त करने में मदद की, बल्कि उन्हें इस कठिन परीक्षा की तैयारी में भी सफलता दिलाई।

सफलता का श्रेय:

कनिष्क कटारिया अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार, खासकर अपने पिता, और अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण को देते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और तैयारी ठान ली जाए, तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।

कनिष्क कटारिया की सफलता की कहानी यह बताती है कि सही मार्गदर्शन, प्रेरणा, और मेहनत से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उनकी यात्रा युवा aspirants के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है, जो यह दर्शाती है कि सही दिशा और समर्पण के साथ, बड़ी से बड़ी परीक्षा को भी पहले प्रयास में ही पार किया जा सकता है।

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