Kisan Andolan: शंभू बार्डर पर पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले, दिल्ली कूच स्थगित, किसान संगठनों ने किया अहम ऐलान
Kisan Andolan: शंभू बार्डर पर पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले, दिल्ली कूच स्थगित, किसान संगठनों ने किया अहम ऐलान
किसान आंदोलन: शंभू बॉर्डर पर पुलिस की कार्रवाई, दिल्ली कूच स्थगित, किसान संगठनों ने किया अहम ऐलान
शंभू बॉर्डर पर झड़प के बाद फैसला वापस
चंडीगढ़: किसान संगठनों ने दिल्ली कूच का फैसला वापस ले लिया है। पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच तीखी झड़प के बाद यह निर्णय लिया गया। किसान नेता सरवन पंधेर ने किसानों को वापस लौटने का आह्वान किया और घोषणा की कि आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए रात में बैठक की जाएगी।
हरियाणा में एंट्री के दौरान संघर्ष
दिल्ली कूच के लिए निकले किसान शंभू बॉर्डर के रास्ते हरियाणा में प्रवेश की कोशिश कर रहे थे। पुलिस की कड़ी सुरक्षा और बैरिकेडिंग के चलते उन्हें रोका गया। इसके बाद किसानों ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की, जिस पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। तनावपूर्ण हालात को देखते हुए हरियाणा सरकार ने अंबाला में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दीं।
किसानों की मांग है कि सरकार एमएसपी पर कानूनी गारंटी दे। इसके साथ ही किसान संगठनों ने कुल 12 मांगें सरकार के समक्ष रखी हैं। मौजूदा संसद सत्र के दौरान किसान दिल्ली पहुंचकर अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं।
पुलिस कार्रवाई और किसानों की प्रतिक्रिया
पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के 21 गोले छोड़े, जिससे दो किसानों को चोटें आईं। इसके बाद किसान नेता सरवन पंधेर ने खुद मौके पर पहुंचकर किसानों को वापस बुला लिया। दूसरी तरफ, हरियाणा पुलिस मौके पर लगातार वीडियोग्राफी कर रही थी। पुलिस ने यह भी घोषणा की कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक बयानबाजी तेज
किसान आंदोलन को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। कांग्रेस ने किसानों को रोकने और पुलिस की कार्रवाई को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। किसान संगठनों का कहना है कि उनके आंदोलन को दबाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन वे अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं।
आगे की रणनीति पर नजर
किसान संगठनों की बैठक के बाद आंदोलन की अगली दिशा तय होगी। किसान नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उनकी मांगें पूरी होने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। एमएसपी की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों को लेकर किसान संगठन सरकार पर दबाव बनाने की योजना बना रहे हैं।