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गन्ने की फसल को बर्बाद करने वाला रेड रॉट रोग, ये है पहचान और बचाव के तरीके
सहारनपुर: यूपी का सहारनपुर जनपद, जिसे गन्ना बेल्ट के नाम से जाना जाता है, इन दिनों गन्ने की फसल पर एक खतरनाक रोग रेड रॉट (गन्ने का कैंसर) के हमले का सामना कर रहा है। इस रोग के कारण गन्ने की फसल पूरी तरह से नष्ट हो सकती है। आइए जानें इस रोग की पहचान, प्रभाव, और उससे बचाव के उपाय।
रेड रॉट रोग की पहचान
- लक्षण:
- गन्ने की फसल पीली पड़ जाती है।
- गन्ने का रंग लाल हो जाता है।
- गन्ने से सड़ी गंध आने लगती है।
- जड़ों पर सूजन और सड़न के लक्षण दिखाई देते हैं।
- प्रभाव:
- रेड रॉट नमी के कारण उत्पन्न होता है और बरसात के समय इसका प्रकोप बढ़ जाता है।
- कई दिनों तक खेत में पानी जमा रहने से यह रोग फैलता है और पूरी फसल को नष्ट कर देता है।
रेड रॉट से बचाव के उपाय
- रोग के लक्षण दिखने पर:
- फसल की तात्कालिक प्रतिक्रिया: जहां भी रेड रॉट के लक्षण दिखें, तुरंत गन्ने को उखाड़ कर जला दें।
- सफाई और कीटाणुशोधन: प्रभावित स्थान पर ब्लीचिंग पाउडर डालें और गड्ढे को बंद करें।
- फसल की जांच:
- गन्ने को चीर कर लालपन की जांच करें। अगर गन्ना लाल दिखाई दे, तो पूरी फसल को नष्ट या जला दें, क्योंकि चीनी मिलें इस प्रकार के गन्ने को स्वीकार नहीं करतीं।
- भविष्य के लिए तैयारी:
- फसल चक्र: जिस खेत में रेड रॉट का हमला हुआ है, उसमें 3 से 4 साल तक गन्ने की खेती न करें।
- जैविक उपाय: यदि गन्ने की फसल दोबारा लेना चाहते हैं, तो ट्राइकोडर्मा, स्यूडोमोनास, और मेटाराइजम जैसे जैविक फफूंदी नाशक दवाओं का उपयोग करें। इन्हें सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर खेत में डालें।
- नियमित निगरानी:
- खेत में पानी जमा होने से बचाएं और नियमित रूप से सिंचाई करें ताकि खेत में पानी की अधिकता न हो।
इन उपायों को अपनाकर आप अपने गन्ने की फसल को रेड रॉट रोग से सुरक्षित रख सकते हैं और फसल की गुणवत्ता को बनाए रख सकते हैं। अगर आपको और अधिक जानकारी या सहायता की जरूरत है, तो अपने निकटतम कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।