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इस शमशानघाट में जनाजा ले जाने से पहले रखी जाती है अजीब शर्त

शमशानघाट

इस शमशानघाट में जनाजा ले जाने से पहले रखी जाती है अजीब शर्त

 

हरियाणा भर में अपनी एक विशेष पहचान रखने वाली सिरसा की प्राचीनतम शिवपुरी को और भव्य बनाने के लिए इसके सौंदर्यकरण पर अच्छा खासा बजट है मसलन शैड एवं दीवारों इत्यादि पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं मगर एक विडम्बना ये है कि बुनियादी सुविधाओं के मामले में मैनेजटमेंट के ‘हाथ’ खाली ही हैं। शहर के उन तमाम लोगों को पिछले लंबे समय से ऐसी दिक्कत झेलनी पड़ रही है कि परिवार में किसी की मृत्यु हो जाने के बाद शहर के दूर दराज क्षेत्रों में रहने वालों को शव वाहन के लिए किसी और पर ही आश्रित होना पड़ता है।

 

यानी मृतक के परिवार वालों को अपने लेवल पर ही चालक की व्यवस्था करने को मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि शिवपुरी में शव वाहनों की संख्या तो 6 है मगर इन्हें चलाने वाले केवलमात्र 2 ही हैं और कभीकभार तो स्थिति ये हो जाती है कि इन 2 में से भी किसी 1 को कहीं जाना पड़ जाता है, अथवा वह बीमार पड़ जाता है तो 1 चालक कितना क्या कुछ कर पाएगा? सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। मैनेजमेंट से जुड़े लोगों का कहना है कि फिलहाल काफी दिक्कत है और आपसी सहयोग से काम चलाया जा रहा है लेकिन भविष्य में इस दिशा में सुधार किया जाएगा। फिलवक्त आलम यही है कि सिरसा की ये सबसे बड़ी शिवपुरी बुनियादी सुविधाओं को तरस रही है और इसका खामियाजा उन लोगों को ही भुगतना पड़ रहा है जिनके परिवार में मृत्यु हुई है और उन्हें शव के अंतिम संस्कार के लिए यहां आते वक्त शव वाहन के रूप में व यहां आने के बाद अन्य सुविधाओं की प्राप्ती के लिए मुंह ही ताकना पड़ता है।

ऐसे होती है लोगों को परेशानी

दरअसल, सिरसा के गौशाला रोड स्थित शिवपुरी अपने क्षेत्रफल व सुंदरता के मामले में हरियाणा भर में एक विशेष पहचान रखती है। शहर के दानवीरों, सामाजिक संस्थाओं इत्यादि के सहयोग से शिवपुरी को भव्य बनाया गया। इसके अलावा इसी परिसर में स्थित भगवान शिव का सिरसा जिले में पहला ऐसा मंदिर होगा जिसे पानी के ऊपर बनाया गया है।

 

 

 

निचले हिस्से में पानी है जिसमें कछुए व मछलियां और बतखें भी आकर्षण का केंद्र हैं। शिवरात्रि व अन्य बड़े दिन शहर के हजारों लोग शिवपुरी में बने शिव मंदिर में दर्शनार्थ आते हैं। इस समय शिवपुरी में सुधारीकरण एवं सौंदर्यकरण पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं ताकि इस शिवपुरी को और भी भव्य बनाया जा सके मगर हैरान करने वाला पहलू ये है कि महज दीवारों इत्यादि को और खूबसूरत बनाने के लिए तो अच्छी खासी रकम खर्च की जा रही है मगर बुनियादी सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस समय यहां सबसे बड़ी जरूरत चालकों की हैं क्योंकि यहां शव वाहनों की संख्या तो 6 है

 

 

 

मगर इन्हें चलाने वालों की तादाद केवलमात्र 2 ही हैं। इतने बड़े शहर के उन लोगों एवं परिवारवालों के लिए उस समय एक बड़ा संकट खड़ा हो जाता है जब परिवार में मृत्यु हो जाने के बाद अंतिम संस्कार के लिए शिवपुरी मैनेजमेंट की ओर से उन्हें चालक की खुद ही व्यवस्था करने का कहा जाता है। सवाल ये भी है कि इस दुख की घड़ी में क्या पीडि़त परिवार अन्य कार्यांे को छोडक़र अब ड्राइवरों की तलाश करे या मजबूरन कई किलोमीटर की दूरी का फासला अंतिम शवयात्रा के रूप में पैदल ही पार करे? ये सवाल और मौजूदा स्थिति दोनों ही शहर के लोगों के लिए बड़ी पेचीदगी बनाए हुए हैं।

शहर के लोग भी देते हैं सहयोग

 

अहम बात ये है कि सिरसा शहर में दानवीरों की भी कोई कमी नहीं है। शिवपुरी मैनेजेमेंट को ये लोग आर्थिक रूप से सहयोग करते हैं, बावजूद इसके कई कमियों को पूरा कर पाने में मैनेजमेंट को दिक्कत आ रही है। इस मैनेजमेंट से जुड़े लोगों का कहना है कि जो हासिल होता है, वह खर्च हो जाता है और शिवपुरी में सेवाभाव रखने वाले लोग ही काम कर पाते हैं मगर प्रशासनिक स्तर पर थोड़ी बहुत मदद मिल जाए तो यहां बहुत सी चीजों में गुणात्मक सुधार हो सकता है।

 

वर्जन

‘वाहन चालकों की कमी है और इस कमी को दूर करने का प्रयास किया जाएगा मगर शहर के लोगों और सरकार से भी मांग है कि शिवपुरी को आर्थिक मदद दी जाए ताकि और भी बेहतर सुविधाएं यहां आने वाले लोगों को मिल सके।’
-मनोहर लाल फुटेला, प्रधान शिवपुरी मैनेजमेंट सिरसा।

Charan Singh

बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय (BHU) से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स करने के बाद भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) से हिंदी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा कर चुके हैं। राजनीति, समाज और जन सामान्य से जुड़े विषयों में रुचि रखते हैं। राजनीतिक मुद्दों पर व्यंग और जनसामान्य से जुड़े मुद्दों पर फीचर स्टोरी लिखना विशेष तौर पर पसंद करते हैं। News मीडिया में बतौर Editor जुड़े हुए हैं। यहां राजनीति, शिक्षा और क्राइम स्टोरी कवर करते हैं।

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