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एक लाल से दूसरे लाल तक ऐसे पहुंचती रही सत्ता की चाबी

हरियाणा के सियासी पन्ने रोचक तथ्यों और किस्सों से अटे पड़े हैं। यहां की राजनीति करीब तीन दशक तक तीन लालों चौधरी बंसीलाल, चौधरी देवीलाल और चौधरी भजनलाल के इर्द-गिर्द घुमती रही है। एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि एक लाल से दूसरे लाल तक सत्ता की चाबी पहुंचती रही है। 1968 से लेकर साल 2000 तक यह सिलसिला 32 साल तक जारी रहा और इस दौरान चौधरी देवीलाल ने बंसीलाल से सत्ता हासिल की तो चौधरी भजनलाल ने देवीलाल परिवार से सत्ता हथियाई। भजनलाल परिवार से चौधरी देवीलाल ने पुन: सत्ता की चाबी हासिल की।

गौरतलब है कि साल 1968 के चुनाव में कांग्रेस को 48 सीटों पर जीत मिली और अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस हाईकमान ने चौधरी बंसीलाल को हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया। 1972 में कांग्रेस 52 सीटों पर विजयी हुई और बंसीलाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि 1975 में बंसीलाल को रक्षा मंत्री बना दिया गया और उनकी पसंद के ही बनारसी दास गुप्ता को हरियाणा का सी.एम. बनाया गया। पर सत्ता की चाबी बंसीलाल के पास ही थी। 1977 के चुनाव में सत्ता की चाबी को बंसीलाल से हासिल किया चौधरी देवीलाल ने। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी को 75 सीटों पर जीत मिली। चौधरी देवीलाल 21 जून 1977 से लेकर 28 जून 1979 तक ही मुख्यमंत्री रह सके।

जून 1979 में चौधरी बंसीलाल ने देवीलाल से सत्ता छीन ली। जनता पार्टी के विधायकों को अपने पाले में कर भजनलाल मुख्यमंत्री बन गए और बाद में पूरी जनता पार्टी ही कांग्रेस में विलय कर दी। इसके बाद 1982 के चुनाव में कांग्रेस को हालांकि बहुमत नहीं मिला पर भजनलाल किसी तरह से मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे। 1986 में भजनलाल से सत्ता बंसीलाल के पास आ गई। भजनलाल को केंद्र में मंत्री बनाया गया और बंसीलाल को मुख्यमंत्री बनाया। हरियाणा के सियासी इतिहास में 1987 में दूसरा अवसर आया जब बंसीलाल से सत्ता छीनी चौधरी देवीलाल ने।

1987 में चौधरी देवीलाल दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। देवीलाल इस बार 20 जून 1987 से 2 दिसम्बर 1989 तक मुख्यमंत्री रहे जबकि इसके बाद पहले 2 दिसम्बर 1989 से 22 मई 1990 तक ओमप्रकाश चौटाला, 22 मई 1990 से 12 जुलाई 1990 तक बनारसी दास गुप्ता, 12 जुलाई 1990 से 17 जुलाई 1990 तक ओमप्रकाश चौटाला, 17 जुलाई 1990 से 22 मार्च 1991 तक मास्टर हुकूम ङ्क्षसह, 22 मार्च 1991 से 5 अप्रैल 1991 तक ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री रहे। 1991 में दूसरा अवसर आया जब चौधरी भजनलाल ने देवीलाल परिवार से सत्ता छीनी। 1991 के चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला और भजनलाल तीसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। 1996 में सियासी इतिहास एक बार फिर दोहराया गया।

इस बार बंसीलाल ने भजनलाल से सत्ता छीनी और बंसीलाल हविपा की सरकार में चौथी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। 1999 में भी ऐसा दूसरा अवसर आया जब देवीलाल परिवार ने बंसीलाल के हाथ से सत्ता छीन ली। हविपा के विधायकों को अपने पाले में करके ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बन गए।

चौटाला जुलाई 1999 से लेकर मार्च 2005 तक मुख्यमंत्री रहे। 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद ही जाकर तीन लालों के बीच करीब 32 साल तक चली सियासी जंग जाकर थमी। चौधरी भजनलाल आखिरी बार 1991 से 1996 तक मुख्यमंत्री रहे और इसके बाद सत्ता भजनलाल से बंसीलाल के पास चली गई। साल 1999 में बंसीलाल से सत्ता ओमप्रकाश चौटाला के पास आ गई। चौटालजा 24 जुलाई 1999 से मार्च 2005 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। 2005 में हरियाणा में विधानसभा के चुनाव हुए। उस समय भजनलाल अक्सर सार्वजनिक सभाओं में दावा करते थे कि देवीलाल परिवार के बाद सत्ता की चाबी हमेशा उनके पास आई है और इतिहास भी इसका गवाह है। चुनाव में कांग्रेस को 67 सीटों पर जीत मिली, पर हाईकमान ने भजनलाल की बजाय चौधरी भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा को मुख्यमंत्री बना दिया। ऐसे में भजनलाल का पास उल्टा पड़ गया।

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