गेहूं के दामों ने बनाया नया रिकॉर्ड, सरकार ने लिया बड़ा फैसला
भारत में गेहूं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस समय गेहूं की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी ऊपर हैं और हाल ही में इसकी कीमतों में तेजी आई है। वर्तमान में गेहूं का औसत भाव ₹2800 प्रति क्विंटल है, जबकि कुछ राज्यों में यह ₹3500 प्रति क्विंटल से भी ऊपर जा चुका है। त्योहारों के मौसम में गेहूं की कीमतें ₹4000 प्रति क्विंटल तक पहुंच सकती हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए चिंताजनक है।
इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने निम्नलिखित फैसले किए हैं:
स्टॉक लिमिट में कटौती:
ट्रेडर्स और थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक लिमिट को 3000 टन से घटाकर 2000 टन कर दिया गया है। इससे बड़े संस्थानों के पास रखी गई गेहूं की मात्रा कम होगी और बाजार में सप्लाई बढ़ेगी, जिससे कीमतों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
रिटेलर्स के लिए स्टॉक लिमिट में कोई बदलाव नहीं किया गया है; वे पहले की तरह 10 टन गेहूं अपने पास रख सकते हैं।
बड़े रिटेल चेन के लिए भी स्टॉक लिमिट में बदलाव किया गया है। अब वे प्रति आउटलेट 10 टन गेहूं रख सकते हैं और डिपो लिमिट उनकी कुल आउटलेट संख्या का 10 गुना होगी। पहले डिपो लिमिट 3000 टन थी।
फैसले की अवधि:
24 जून को घोषित स्टॉक लिमिट के प्रावधान 31 मार्च 2025 तक लागू रहेंगे।
उपलब्धता और उत्पादन:
मंत्रालय ने बताया कि भारत का गेहूं उत्पादन 11.29 करोड़ टन पर पहुंच चुका है और देश में गेहूं के पर्याप्त भंडार मौजूद हैं। सरकार इन भंडारों का उपयोग कर कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।
सरकार के ये कदम गेहूं की कीमतों को स्थिर रखने और जमाखोरी पर रोक लगाने के लिए उठाए गए हैं। इस निर्णय से छोटे रिटेलर्स को कामकाज जारी रखने में मदद मिलेगी और बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढ़ेगी।