पहली बार बने हैं सबसे कम आजाद विधायक
चुनाव दर चुनाव बात करें 1967 में 269 आजाद उम्मीदवारों ने भाग्य आजमाया और 16 को जीत मिली। आज भी प्रदेश की राजनीति में यह रिकॉर्ड कायम है। 1968 में 161 आजाद प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे।
इस बार 6 को जीत मिल पाई। 1972 में हुए चुनाव में आजाद उम्मीदवारों ने एक बार फिर से जीत के लिहाज से दहाई का आंकड़ा पार किया। 72 के चुनाव में 207 आजाद प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा और 11 को जीत मिल गई। 1977 के चुनाव में 439 में से 7, 1982 में 835 में से 16, 1987 में 1045 में से 7, 1991 में 1412 में से 5 को जीत मिली।
1996 में तीसरी बार ऐसा मौका आया जब आजाद विधायकों की संख्या दहाई के अंक तक पहुंचीं। 1996 के चुनाव में 2022 आजाद प्रत्याशी मैदान में थे और दस को जीत मिल पाई। इसी प्रकार से साल 2000 में 519 में से 11, 2005 में 442 में से 10, 2009 में 513 में से 7, 2014 में 603 में 5, 2019 में 377 में से 7 को जीत मिली। इस बार 461 में से 3 आजाद उम्मीदवारों को ही जीत मिली है।