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Delhi Sex Workers GB Road जीबी रोड: एक झलक सेक्स वर्कर्स की जिंदगी पर

Delhi Sex Workers GB Road

जीबी रोड: एक झलक सेक्स वर्कर्स की जिंदगी पर

सेक्स वर्कर्स की जिंदगी पर सवाल
दिल्ली के जीबी रोड में करीब 1000 से ज्यादा सेक्स वर्कर्स रहती हैं। इनकी जिंदगी को लेकर आम लोगों के मन में कई सवाल होते हैं—ये कैसे जीती हैं, कैसे रहती हैं, क्या खाती हैं, और उनका जीवन कैसा होता है। इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने जीबी रोड का दौरा किया। यहां की सेक्स वर्कर्स ने अपनी कहानी खुद अपनी जुबानी सुनाई।


जीबी रोड: जिंदगी के संघर्ष
यहां रहने वाली एक सेक्स वर्कर ने बताया कि वह पिछले 14 साल से इस पेशे में हैं। गरीबी और परिवार की जिम्मेदारियों ने उन्हें इस रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया। उन्होंने बताया, “मेरे बच्चे हैं, और मैं चाहती हूं कि उनकी जिंदगी मुझसे बेहतर हो। उन्हें पढ़ा रही हूं ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।”

उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती असभ्य कस्टमर्स से निपटना है। कई बार कस्टमर्स पैसे नहीं देते, बदतमीजी करते हैं, और कभी-कभी पुलिस तक मामला पहुंच जाता है। बावजूद इसके, ये महिलाएं अपनी जिंदगी को संभालने और अपने परिवार के लिए बेहतर करने की कोशिश में लगी रहती हैं।


पुलिस का सहयोग और चुनौतियां
इन वर्कर्स ने पुलिस के सहयोग के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि पुलिस सुरक्षा तो देती है, लेकिन कई बार झगड़े और विवाद के कारण समस्याएं भी होती हैं।


आजादी और बंदिशें: एक दोहरी जिंदगी
जीबी रोड पर रहने वाली महिलाओं का कहना है कि उनकी आजादी केवल दिखावा है। वे चाहें तो जो मन आए खा-पी सकती हैं, लेकिन समाज और परिस्थितियां उन्हें असल आजादी से कोसों दूर रखती हैं। इनमें से कई अपने परिवार को यह नहीं बता पातीं कि वे यहां क्या काम करती हैं।

एक वर्कर ने बताया, “हमारे माता-पिता को लगता है कि हम फैक्ट्री या दुकान में काम करते हैं। हम सच नहीं बताते क्योंकि हमारी इज्जत दांव पर है।”


कोरोना महामारी के समय का संघर्ष
कोरोना महामारी के समय इनकी परेशानियां और बढ़ गई थीं। काम पूरी तरह ठप हो गया था, और वे सरकारी मदद पर निर्भर थीं। हालांकि, मुश्किल वक्त में भी इन्होंने अपनी हिम्मत नहीं खोई और परिवार को संभालने की कोशिश जारी रखी।


भविष्य की उम्मीदें
सेक्स वर्कर्स की सबसे बड़ी चाहत है कि उनके बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो। एक वर्कर ने कहा, “मैं अपने बच्चों को पढ़ा रही हूं ताकि उनकी जिंदगी मुझसे अलग हो। मैं चाहती हूं कि वे डॉक्टर या कुछ अच्छा बनें। मेरी जैसी जिंदगी उन्हें ना जीनी पड़े।”


जीबी रोड की कड़वी सच्चाई
जीबी रोड की जिंदगी आसान नहीं है। छोटे-छोटे कमरों में रहकर ये महिलाएं अपनी आजीविका चलाती हैं। उनका कहना है कि इस जीवन में खुशी और सुरक्षा की कमी है।


यह रिपोर्ट जीबी रोड की हकीकत को सामने लाने का एक प्रयास है। उम्मीद है, समाज इनकी स्थिति को समझे और इनके लिए बेहतर भविष्य के रास्ते खोले।

Charan Singh

बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय (BHU) से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स करने के बाद भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) से हिंदी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा कर चुके हैं। राजनीति, समाज और जन सामान्य से जुड़े विषयों में रुचि रखते हैं। राजनीतिक मुद्दों पर व्यंग और जनसामान्य से जुड़े मुद्दों पर फीचर स्टोरी लिखना विशेष तौर पर पसंद करते हैं। News मीडिया में बतौर Editor जुड़े हुए हैं। यहां राजनीति, शिक्षा और क्राइम स्टोरी कवर करते हैं।

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