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धान की फसल में खरपतवारों की समस्या से बचने के लिए करें ये काम, होगी बंपर पैदावार
धान की फसल में खरपतवारों की समस्या आम होती है, और ये खरपतवार फसल के विकास और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। यदि धान की फसल रोपाई के डेढ़ महीने (40-45 दिन) के आस-पास पहुँच चुकी है, तो खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई करना सबसे प्रभावी तरीका है। यहां पर कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिन्हें किसानों को ध्यान में रखना चाहिए:
- खरपतवार नाशक दवाओं का उपयोग कम करें: धान की फसल 40-45 दिन की होने पर खरपतवार नाशक दवाओं का उपयोग न करें। इस समय दवाओं का प्रभाव कम हो सकता है और दवाओं के अधिक उपयोग से फसल पर विपरीत असर पड़ सकता है। इसके बजाय, निराई-गुड़ाई पर ध्यान दें।
- निराई-गुड़ाई से खरपतवार नियंत्रण:
- निराई-गुड़ाई: इस प्रक्रिया में खरपतवारों को हाथ से या खुरपी से उखाड़कर खेत से बाहर किया जाता है। इससे मिट्टी की सतह साफ हो जाती है और खरपतवारों की जड़ों को भी निकाल दिया जाता है।
- मिट्टी में हवा का संचार: निराई-गुड़ाई से मिट्टी में हवा का संचार बढ़ता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है और धान के पौधों को आवश्यक पोषक तत्व अधिक मिलते हैं।
- नमी बनाए रखना: निराई-गुड़ाई से मिट्टी की सतह पर एक मुलायम परत बनती है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और सिंचाई का पानी बचाया जा सकता है।
- खरपतवारों को काटें और बाहर करें:
- दरांती से खरपतवार काटें: यदि धान की फसल 45 दिन से ज्यादा पुरानी हो गई है और खेत में खरपतवार की समस्या है, तो दरांती का उपयोग कर खरपतवारों को काट लें।
- खुरपी से गुड़ाई: कटे हुए खरपतवारों को खेत से बाहर करने के बाद, खुरपी से गुड़ाई करें ताकि मिट्टी में पोषक तत्व अच्छी तरह से मिल सकें और उर्वरता बनी रहे।
- उत्पादन में वृद्धि:
- यदि नियमित रूप से निराई-गुड़ाई की जाती है और खेत में खरपतवारों को समय पर नियंत्रित किया जाता है, तो इससे धान की फसल की वृद्धि में सुधार होता है और बंपर उत्पादन की संभावना बढ़ जाती है।
इन प्रक्रियाओं का पालन करके किसान अपनी धान की फसल को स्वस्थ रख सकते हैं और अच्छे उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।