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Ladyfinger Farming: कम मेहनत में भिंडी की खेती दे रही ज्यादा मुनाफा, जानें कैसे करें खेती

 

फरीदाबाद: खेती किसानी के अंतर्गत सब्जियों की खेती करना विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है, खासकर छोटे भूमि वाले किसानों के लिए। बल्लभगढ़ के मलेरना गांव के किसान ओमवीर की भिंडी की खेती की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सब्जियों की खेती कैसे किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधार सकती है।

ओमवीर का अनुभव:

  • भिंडी की खेती: ओमवीर पिछले 8 सालों से भिंडी की खेती कर रहे हैं। उन्होंने वर्तमान में 3 बीघे में भिंडी उगाई है। एक बीघा में लगभग 1 क्विंटल भिंडी की पैदावार होती है। ओमवीर की भिंडी की फसल वैशाख में लगाई जाती है और दीपावली तक तैयार रहती है।
  • फसल की देखभाल: ओमवीर ने बताया कि भिंडी की फसल में कीट लगने की स्थिति में वे साईपर और रिलायंस खाद दवाई का प्रयोग करते हैं। भिंडी की फसल गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में उगाई जा सकती है, लेकिन गर्मी की भिंडी अधिक लाभकारी होती है क्योंकि इस दौरान सब्जियों की मांग अधिक रहती है।
  • सिंचाई: भिंडी की सिंचाई मार्च में बुआई के 10-12 दिन बाद शुरू करनी चाहिए। अप्रैल में हर 7-8 दिन में और मई-जून में हर 4-5 दिन में सिंचाई करनी आवश्यक होती है। बरसात के दिनों में सिंचाई की जरूरत नहीं होती, लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि खेत में पानी जमा न हो।
  • मंडी में बिक्री: ओमवीर ने बताया कि उनकी भिंडी फरीदाबाद, पलवल, और बल्लभगढ़ के मंडियों में जाती है। मंडी में भिंडी की कीमत 20 से 25 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलती है।

लाभ और आर्थिक स्थिति:

  • मुनाफा: भिंडी की खेती से साल भर में लाखों रुपए का लाभ हो जाता है, जिससे ओमवीर का परिवार अच्छे से अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी कर रहा है।

किसानों के लिए सलाह:

  • भूमि की तैयारी: भिंडी को उत्तम जल निकास वाली जमीन पर उगाना चाहिए। भूमि की दो से तीन बार जुताई करने की सलाह दी जाती है।
  • समय पर देखभाल: फसल की देखभाल और समय पर सिंचाई से भिंडी की पैदावार और गुणवत्ता को बेहतर किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

भिंडी की खेती के अनुभव से स्पष्ट है कि सही देखभाल, समय पर सिंचाई, और उचित कृषि प्रबंधन के साथ सब्जियों की खेती एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है। ओमवीर की तरह, अन्य किसान भी इस मॉडल को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं।

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