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दिन में अखबार बेचता था और रात को उसी अखबार पर सोता था राजस्थान का यह मुख्यमंत्री

राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में राज्य की राजनीति में हलचल तेज है। सियासी शतरंज सज चुकी है और मोहरे बिछाए जा रहे हैं। शह-मात का खेल जारी है। 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में सियासत का मिजाज अनूठा है। यहां की राजनीति के पन्ने दिलचस्प किस्सों से अटे पड़े हैं। राजनीति डॉट कॉम हम विशेष सीरिज राजस्थान के सियासी किस्सों-कहानियों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। इसी कड़ी में आज आपको बताएंगे जयनारायण व्यास से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा। वे दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। हालांकि इस दौरान बीच में कुछ समय के लिए टीका राम पालीवाल मुख्यमंत्री रहे।

जयनारायण व्यास का जन्म 18 फरवरी, 1899 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ था। व्यास जी की पत्नी का नाम श्रीमती गौरजा देवी व्यास था। इनकी चार संतानें हैं, जिनमें एक पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। उस समय देश दासता की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। जयनारायण व्यास राजस्थान के प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानियों में से एक थे। वे ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सबसे पहले सामन्तशाही के खिलाफ आवाज़ उठाई और ‘जागीरदारी प्रथा’ की समाप्ति के साथ रियासतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना पर बल दिया। वे जवाहरलाल नेहरू के करीबी नेताओ में से थे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय व्यास जी जेल में रहे। 1933 में जेल से रिहा होने के बाद व्यास ने अखिल भारतीय देशी राज्य प्रजा परिषद का गठन किया। नेहरू को इसका अध्यक्ष बनाया गया और जयनारायण ने सचिव का काम संभाला।

अब उनकी गतिविधियों का केंद्र जोधपुर की जगह मुंबई हो गया. यहीं पर उन्होंने ‘अखंड भारत’ नाम का अखबार शुरू किया। यह दौर मुफलिसी का था। व्यास जी दिन में अखबार बेचते और रात को उसी अखबार को बिस्तर बनाकर सोते। खैर देश आजाद हुआ और पंडित जवाहर लाल नेहरु ने व्यास जी को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद उनके दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने की कहानी बड़ी राचेक है। राजस्थान में पहला आम चुनाव साल 1952 में हुआ, तब व्यास जी राज्य के मुख्यमंत्री थे। पहला आम चुनाव पोस्टल बैलेट से हुआ था इसलिए नतीजे आने में कई दिन लग रहे थे। जब नतीजे आने का क्रम जारी था तब जयनारायण व्यास अपने खास नेता मित्रों माणिक्यलाल वर्मा, मथुरादास माथुर और रामकरण जोशी के साथ बैठकर रिजल्ट्स का हिसाब-किताब ले रहे थे।

जयनारायण व्यास ने दो जगह से चुनाव लड़ा – जालौर-ए और जोधपुर शहर-बी। व्यास जी अपने राजनैतिक मित्रो के साथ चर्चा कर रहे थे तभी उनके सचिव वहां आए और बोले- दो खबर हैं। एक अच्छी एक बुरी। अच्छी ये कि पार्टी 160 में से 82 सीटों पर चुनाव जीत गई है। और बूरी खबर यह है कि व्यासजी दोनों जगह से चुनाव हार गए हैं। यह खबर सुनते ही कमरे में सन्नाटा हो गया। वहां बैठे लोगों के लिए कांग्रेस जीत की खुशी से ज्यादा व्यास की हार का दुख था। क्योंकि व्यास जी के करीबी नेताओं ने सालभर पहले हीरालाल शास्त्री को हटवाकर जयनारायण व्यास को सीएम बनवाया था। अब उन्हें लगा कि व्यास जी की हार के साथ उनका भी करियर खतरे में आ गया हैं। व्यास जी की हार के बाद उनके करीबी और डिप्टी टीका राम पालीवाल को मुख्यमंत्री बना दिया।

टीका राम पालीवाल 3 मार्च से 31 अक्टूबर 1952 तक मुख्यमंत्री रहे। उनके करीबी के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान होने से व्यास जी का कैम्प हावी हो गया और व्यास जी को वापस लाने की कवायद शुरू हुई। उन्हें वापस लाने के लिए किशनगढ़ से विधायक चांदमल मेहता ने इस्तीफा देते हुए जयनारायण व्यास को वहां से उपचुनाव लडऩे का न्योता दिया। व्यास उपचुनाव में जीते और पुन: मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हुए। उन्होंने टीका राम पालीवाल को पुन: उप मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान कर दिया। व्यास जी के करीबियों को पालीवाल को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने पर नाराजगी हो गई और उन्होंने व्यास जी को निपटाने की सोची।

करीबियों में माणिक्य लाल वर्मा और मथुरा दास माथुर ने व्यास जी को छोड़ 38 वर्षीय मोहन लाल सुखाङिया का साथ कर लिया। राज्य में राजनीतिक विवाद बढ़ा और इसका पहला वार माणिक्य-मथुरा द्वारा राज्यसभा चुनाव में किया। माणिक्य लाल वर्मा और मथुरा दास के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी के विधायकों के एक ग्रुप ने कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार को वोट कर दिया। उस पर व्यास ने पलटवार किया और 22 विपक्षी विधायकों को कांग्रेस में ले आए। प्रांत मे बढ़ते हुए विवाद को देखते हुए भारतीय कांग्रेस के महासचिव बलवंत राय मेहता को पर्यवेक्षक बनाकर नेहरु जी ने जयपुर भेजा। उन्होंने विधायकों की राय जानने के लिए वोटिंग करायी। और व्यासजी उस वोटिंग में मोहन लाल सुखाङिया से हार गए और उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। शायद ही राजस्थान में इससे बड़ा कोई राजनैतिक विवाद हुआ हो किसी को बनाने और बिगाडऩे के लिए।

 

 

 

 

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